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पंजाब और हरियाणा में दीपावली के बाद हवा की गुणवत्ता की स्थिति ‘गंभीर’

पंजाब के लुधियाना में एक्यूआई 209, अमृतसर में 225, जालंधर में 198, बठिंडा में 242 और पटियाला में 233 रहा

पंजाब के लुधियाना में एक्यूआई 209, अमृतसर में 225, जालंधर में 198, बठिंडा में 242 और पटियाला में 233 रहा। वहीं, हरियाणा में जो एक खेती वाला राज्य है, वहां फरीदाबाद में 247, सोनीपत में 343, करनाल में 201, भिवानी में 328, जींद में 247 और चरखी दादरी में 279 दर्ज किया गया।

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण माना जाता है, जिसका असर दिल्ली-एनसीआर तक भी पहुंचता है

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण माना जाता है, जिसका असर दिल्ली-एनसीआर तक भी पहुंचता है। हालांकि, इस साल दोनों राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं पिछले वर्षों की तुलना में कम हुई हैं। बता दें, पंजाब में सोमवार को 45 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस सीजन में 19 अक्टूबर को दर्ज 67 घटनाओं से कम हैं।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, तरनतारन और अमृतसर जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, तरनतारन और अमृतसर जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए।हरियाणा में 17 अक्टूबर तक 30 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज हुईं, जो पिछले साल की समान अवधि में 601 थीं। साल 2023 में 546, 2022 में 330 और 2021 में 1,026 मामले थे, जो दर्शाता है कि पराली जलाने की प्रथा में लगातार कमी आई है। जिला-वार आंकड़ों में जींद में सबसे अधिक नौ मामले, सिरसा और सोनीपत में चार, फरीदाबाद में तीन और कैथल, पानीपत, यमुनानगर में दो मामले दर्ज हुए।

प्रदूषण विशेषज्ञों का कहना है कि चंडीगढ़ में एक्यूआई बढ़ने का कारण पंजाब और हरियाणा से आने वाली हवाएं हैं, जो इन क्षेत्रों में प्रदूषण साथ लाती हैं

प्रदूषण विशेषज्ञों का कहना है कि चंडीगढ़ में एक्यूआई बढ़ने का कारण पंजाब और हरियाणा से आने वाली हवाएं हैं, जो इन क्षेत्रों में प्रदूषण साथ लाती हैं। दिल्ली-एनसीआर में भी पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ना अब आम हो गया हैं।

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