कन्हर नदी रामानुजगंज की जीवनधारा और विकास की नई उम्मीद

कन्हर नदी पर निर्मित यह एनीकट बरसात के दिनों में नदी के बहाव को नियंत्रित करते हुए जल संग्रहण का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है। इससे आसपास के गांवों में सिंचाई की सुविधा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है और भूजल स्तर में भी लगातार सुधार देखा गया है। बरसात के बाद यहां का दृश्य बेहद मनमोहक हो उठता है। जब एनीकट से पानी की फुहारें उठती हैं, तो लगता है मानो प्रकृति ने खुद इस क्षेत्र को तराशा हो।
किसानों के लिए जीवनदान
कन्हर नदी का यह एनीकट लगभग 2500 हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करता है। पहले जहां किसान केवल मानसून पर निर्भर रहते थे, वहीं अब सालभर खेतों में फसलें लहलहा रही हैं।
रामानुजगंज ब्लॉक के किसान राजकुमार यादव बताते हैं पहले गर्मियों में खेत सूख जाते थे, लेकिन अब एनीकट से पानी मिलने से रबी फसलाें की बुवाई भी कर पाते हैं। इससे हमारी आमदनी बढ़ी है और पलायन भी काफी कम हुआ है।
निर्माण और लागत
कन्हर एनीकट का निर्माण वर्ष 2008-09 में जल संसाधन विभाग द्वारा किया गया था। इस परियोजना पर उस समय लगभग 2.75 करोड़ रुपये की लागत आई थी। एनीकट को आधुनिक सुदृढ़ सीमेंट संरचना के रूप में बनाया गया है, जिसमें 12 जल निकासी द्वार लगाए गए हैं ताकि जलस्तर को नियंत्रित रखा जा सके और बाढ़ के समय अतिरिक्त जल प्रवाह को सुरक्षित रूप से निकाला जा सके। वर्ष 2022 में एनीकट की मरम्मत और सुदृढ़ीकरण कार्य पर भी लगभग 40 लाख रुपए का व्यय किया गया।
तकनीकी और पर्यावरणीय पहलू
यह एनीकट न केवल जल संरक्षण में बल्कि बाढ़ नियंत्रण और भूजल पुनर्भरण में भी अहम भूमिका निभा रहा है। विशेषज्ञ माेहन गुप्ता का मानना है कि अगर इसी तरह के छोटे-छोटे एनीकट प्रदेश के अन्य ग्रामीण इलाकों में बढ़ाए जाएं, तो छत्तीसगढ़ में जल संकट और कृषि निर्भरता की समस्या काफी हद तक समाप्त हो सकती है।
उम्मीदों को हरियाली देने वाली धारा
कन्हर नदी पर बना यह एनीकट सिर्फ एक इंजीनियरिंग संरचना नहीं, बल्कि स्थानीय विकास की धारा है। यह न केवल खेतों को सींचता है, बल्कि उम्मीदों को भी हरियाली देता है। अगर इसी तरह पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखा जाए, तो कन्हर एनीकट आने वाले वर्षों में रामानुजगंज की पहचान बन सकता है। जहां जल, जीवन और जन की कहानी एक साथ बहती है।