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Adani Power Limited नियमों को ताक में रखकर कर करने जा रहा विस्तार, ग्रामीणों के जीवन से खिलवाड़ करने रचा जा रहा षड़यंत्र

रायपुर। तिल्दा स्थित Adani Power Limited का विस्तार मामला इन दिनों खूब विवादों से जूझ रहा है। लगातार ग्रामीण अलग-अलग माध्यमों से विरोध प्रदर्शन करते दिख जा रहे हैं। वहीं प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध नजर आने लगी है। अब इस लड़ाई में क्षेत्र के ग्रामीण, समाजसेवी, प्रकृति प्रेमी व राजनीतिक पार्टी के नेता कूद पड़े हैं। जो आपत्ति दर्ज कराते दिख रहे हैं। हालांकि जानकारों की मानें तो इन सबके बाद भी अडानी पावर लिमिटेड अपनी मंशा को पूरा करे बगैर नहीं रूकने वाला है। एक बार फिर सीधा साधा छत्तीसगढ़िया परदेसियों से छला जाने वाला है।

ईआईए अधिसूचना 2006 के तहत पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए 22 जून 2024 को आयोजित जनसुनवाई का विरोध करने और इस परियोजना द्वारा लगातार कानूनों, नियमों और पर्यावरण स्वीकृति की शर्तों का गंभीर उल्लंघन खुलकर सामने आने लगा है। जिसके चलते स्थानीय लोगों की आजीविका और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने लगा है।

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छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला ने विरोध दर्ज कराते हुये कई प्लांट पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं। जिनमें उन्होंने नियमों का भी हवाला दिया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को परियोजना के क्रियाकलापों के संबंध विस्तृत जानकारी मीडिया और समाचार पत्रों व संबंधित वेबसाइट के माध्यम से देनी होगी। वहीं स्थानीय भाषा में जिला स्तरीय कार्यालयों और पंचायतों में उपलब्ध कराना होगा। ताकि प्रभावित व्यक्ति इसका अवलोकन कर सकें। प्लांट से संबंधित जानकारी सार्वजनिक नहीं किये जाने के चलते लोगों की राय स्पष्ट रूप नहीं आ पा रही है। ऐसे में मात्र खानापूर्ति हो पा रहीहै। इसलिए भी ऐसे जनसुनवाई को कोई औचित्य नहीं है।

मंत्रालय द्वारा जारी मॉनिटरिंग रिपोर्ट में पर्यावरणीय स्वीकृति की शर्तों के अनुपालन में गंभीर लापरवाहियां दर्ज की गई है।

कंपनी की रेलवे साइडिंग से निकलने वाली दूषित जल से आस पास की कृषि भूमि बंजर होते जा रही है। कोल हैंडलिंग क्षेत्र अब भी जीरो डिस्चार्ज का पालन करने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है। साथ ही केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी रेलवे साइडिंग गाइडलाइन्स पालन नहीं हो रहा है। जिससे ग्रामीणों की कृषि भूमि दूषित हो रही है और इसका सीधा प्रभाव आजीविका पर पड़ रहा है।

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नियमों की मानें तो कंपनी को पूरे रिजेक्ट कोयले की जानकारी मंत्रालय को उपलब्ध कराई जानी चाहिये। जो कि नहीं कराई जा रही है। आवश्यक जानकारियों का खुलासा न करना भी एक गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है।

वहीं मॉनिटरिंग के दौरान वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर पाई गई हैं। और हवा में पार्टिकुलेट मैटर लिमिट से अधिक पाया गया है। जो वायु प्रदूषण की रोकथाम से जुड़ी पर्यावरणीय शर्तों के अनुपालन की कमी को दशार्ता है। 2011 को जारी पर्यावरणीय स्वीकृति की शर्त जिसमे महानदी में जल की उपलब्धता के संबंध में अध्ययन किया जाना था वह भी आज तक नहीं हो पाया है।

Adani Power Limited : प्लांट के विस्तार को लेकर आम से खास सभी खुलकर विरोध कर रहे हैं। बावजूद शासन-प्रशासन से मिलीभगत कर ग्रामीणों के जीवन से खिलवाड़ करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है। यहां तक कि प्लांट प्रबंधन सीएसआर के नाम पर मात्र खानापूर्ति कर रहा है। जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं हो रहा है।

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