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रायपुर नगर निगम में व्याप्त तकनीकी अनियमितताओं, वित्तीय भ्रष्टाचार एवं प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ मानवाधिकार आयोग की कड़ी आपत्ति

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संरक्षण आयोग, छत्तीसगढ़ के प्रदेश महासचिव श्री प्रदुमन शर्मा ने रायपुर नगर निगम में हो रहे गंभीर वित्तीय भ्रष्टाचार, तकनीकी अनियमितताओं और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करते हुए राज्य शासन एवं न्यायपालिका से कठोर कार्रवाई की मांग की है।

श्री शर्मा ने बताया कि नगर निगम रायपुर में विकास कार्यों से संबंधित तकनीकी स्वीकृतियों एवं वित्तीय प्रावधानों में भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। अनेक मामलों में गुणवत्ता मानकों की अनदेखी की गई है, जिससे जनधन एवं जनसंपत्ति का सीधा नुकसान हुआ है।

मुख्य बिंदु:
• तकनीकी गड़बड़ियों एवं विकास कार्यों में अनियमितता,
• वित्तीय भ्रष्टाचार और पक्षपातपूर्ण प्रावधान,
• नियम विरुद्ध तरीके से निजी एजेंसियों को लाभ पहुँचाना,
• जनधन की हानि एवं सार्वजनिक धन का दुरुपयोग,
• शासन की जिम्मेदारी से बचने का प्रयास।

आयोग का कहना है कि यदि इस प्रकरण में शीघ्र, ठोस एवं पारदर्शी कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह सीधे-सीधे प्रशासनिक संरचना एवं शासन की जवाबदेही पर प्रश्नचिह्न है।

आयोग ने कहा की :
• यदि समय पर जांच और कार्रवाई नहीं हुई तो आयोग इस मामले को उच्च न्यायालय में जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से उठाएगा।
• इस गंभीर प्रकरण में शामिल अधिकारियों एवं एजेंसियों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है।

श्री शर्मा ने यह भी कहा कि जनता के विश्वास और करदाताओं के पैसों से संचालित निगम व्यवस्था को भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ाना लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।

आयोग की मांग:
1. मामले की स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं उच्चस्तरीय जांच हो।
2. दोषियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
3. जनता के धन की क्षति की भरपाई करवाई जाए।
4. भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए ठोस नीति एवं निगरानी तंत्र विकसित हो।

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