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CG NAXAL STORY:नक्सलवाद का भय दिखाकर अंदरूनी इलाको में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है.

CG NAXAL STORY: जिला सुकमा,छ. ग.बिते दो दशकों से दक्षिण बस्तर में युद्ध्य सा माहौल है ,और इस युद्ध्य में आम जनता , सुरक्षा बल के जवान , राजनेता , जनप्रतिनिधि एवं मवोवादी लगातार मारे जा रहे है दक्षिण बस्तर के जंगल और पहाड़ रक्त से लाल हो चुकी है, माहौल अस्थिर सा और भयावह है । किंतु यह माहौल कुछ भ्रष्टाचारियों के लिये आपदा में अवसर सा है,नक्सलवाद का भय दिखाकर अंदरूनी इलाको में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है, दक्षिण बस्तर में दो प्रकार के क्षेत्र एक सामान्य क्षेत्र और दूसरा अघोषित रूप से नक्सल प्रभावी क्षेत्र, और इन अघोषित नक्सल प्रभावी क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का दखल शून्य है , जिसका फायदा उठाकर उन क्षेत्रों के कर्मचारी व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार करते है.

नक्सलवाद का भय दिखाकर अंदरूनी इलाको में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है.

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आज हम बात कर रहे है सुकमा ज़िले के कोंटा ब्लॉक के गुमोडी पंचायत एवम् उसके आश्रित गाँव के. गुमोडी गाव और उसके आश्रित गाव दुरमा , बड़े हिरमा , पोरों काकारी और पोरों गुमोडी में विगत 2018 -19 से 2023 तक 20 -20 लाख के पाच तालाब और 14 -14 लाख के पाच तालाब स्वीकृत हुए थे जिसमे पंचायत सचिव ने केवल मेड़ बनवाकर ही राशि डकार लिया कुछ तालाब तो केवल कागजो में ही बनवा डाला  पंचायत की सरपंच पति द्वारा हमे सभी तालाबों दिखाया गया  हमने पाया कि किसी भी तालाब में पानी नहीं है , खेत के बीचो बीच केवल एक मेड़ बनाकर पूरी राशि का आहरण कर लिया गया है, हमारे पास मौजूद सूची के संख्या से कम तालाब गाव में पाये गये.

सरपंच को सचिव ने बताया था कि सभी तालाब दस – दस लाख रुपये के है, सरपंच लक्खे हेमला बताई कि गाँव में किसी भी पंच को वेतन नहीं मिलता , और उसका वेतन भी आधा काटकर देता है, सचिव 2023 के बाद आज तक गाँव नहीं आया । मूलभूत , चौदहवें वित्त , पन्द्रहवे वित्त के राशि का उसे कुछ भी बताया नहीं जाता । कुल मिलाकर गाव का हाल , बेहाल है । सरकार इन क्षेत्रों के विकास के लिए राशि तो आबंटित करती है पर यह राशि जाता कही और है ।

इस पूरे मामले में पंचायत सचिव और जनपद सीईओ का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई , पर वे संपर्क से बचते रहे.

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मामले में सुकमा ज़िला पंचायत सीईओ ने कहा मामले की जांच करवाने के बाद ही कुछ कह पाऊँगा,किंतु अब सवाल यह उठता है कि किस आधार पर इंजीनियर ने मेजरमेंट किया ? किस आधार पर एसडीओ ने सत्यापन किया होगा ? आख़िर इतने बड़े भ्रष्टाचार का क्यों किसी को भनक नहीं लगी ? क्या इस भ्रष्टाचार के खेल में ज़िले के अन्य अधिकारी भी शामिल ? क्या इस खबर की वाक़ई जाँच होगी , या यह भी ठंडे बस्ते में चले जाएगा.

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