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रहस्य से उठा परदा! देर रात सरकार गठन को लेकर हुई अहम बैठक, अब नेपाल की सत्ता इनको सौंपने की तैयारी

पाल में अंतरिम सरकार के गठन को लेकर देर रात शीतल निवास (राष्ट्रपति भवन) में अहम बैठक हुई। इस चर्चा में प्रधान सेनापति जनरल अशोक राज सिग्देल, पूर्व चीफ जस्टिस और संभावित प्रधानमंत्री सुशीला कार्की भी मौजूद रहीं। राष्ट्रपति ने परामर्श के लिए स्पीकर देवराज घिमिरे और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल को भी बुलाया। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रकाश सिंह राउत को भी इस बैठक में शामिल किया गया। अंतरिम सरकार के गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति ने संविधान विशेषज्ञों और वरिष्ठ वकीलों से भी कानूनी सलाह ली। सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही अंतरिम सरकार बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।

राष्ट्रपति भवन और सेना मुख्यालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नेपाल की अंतरिम सरकार की कमान सुशीला कार्की को मिलने की संभावना लगभग तय मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति भवन में हुई अहम बैठक में इस पर सहमति बन चुकी है। इस बैठक में राष्ट्रपति के साथ-साथ सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल, सुशीला कार्की, स्पीकर देवराज घिमिरे और राष्ट्रीय सभा के अध्यक्ष नारायण दहाल भी मौजूद थे।
आम चुनाव कराने को लेकर हुआ फैसला

सूत्रों का कहना है कि अगर हालात सामान्य रहे, तो कल ही शपथग्रहण संपन्न हो सकता है। बैठक में संसद भंग करने पर भी सहमति बनी है और अगले छह महीनों के भीतर आम चुनाव कराए जाने का फैसला लिया गया है। जानकारी यह भी मिली है कि राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने नेपाली कांग्रेस और माओवादी दल के नेताओं से भी चर्चा कर सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का फैसला लिया गया है।

नेपाल की मौजूदा हालात को देखते हुए राष्ट्रपति ने प्रमुख दलों के नेताओं से बातचीत की है, जिसमें माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड, कांग्रेस उपसभापति पूर्ण बहादुर खड़का, महामंत्री गगन थापा और पूर्व प्रधानमंत्री माधव नेपाल मौजूद रहे। हालांकि संविधान को भंग करने के मुद्दे पर दलों के बीच सहमति नहीं बन सकी।

कौन हैं सुशीला कार्की?

इसी बीच, 72 वर्षीय सुशीला कार्की का नाम अंतरिम सरकार की कमान संभालने के लिए सामने आया है। वे नेपाल सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकी हैं। Gen-Z युवाओं के कुछ प्रतिनिधि चाहते हैं कि उन्हें ही अस्थायी तौर पर प्रधानमंत्री बनाया जाए और अगले छह महीनों में संसदीय चुनाव कराए जाएं। लेकिन बड़ी संख्या में युवा इस प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि वे उम्रदराज़ नेताओं से ऊब चुके हैं और 73 वर्षीय ओली को हटाकर 72 वर्षीय सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाना उन्हें स्वीकार नहीं है।

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